प्रोफेसर Ali Khan Mahmudabad की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई

  • रेहान अंसारी

दिल्ली। अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की याचिका सुप्रीम कोर्ट में मंज़ूर हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। यह गिरफ्तारी ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर उनकी सोशल मीडिया पोस्ट के चलते हुई थी, जिसमें उन्होंने महिला सैन्य अधिकारियों की प्रेस ब्रीफिंग को “प्रतीकात्मक” बताया था और कहा था कि यदि यह ज़मीनी हकीकत में नहीं बदला तो केवल दिखावा होगा। इस टिप्पणी को लेकर हरियाणा पुलिस ने उन्हें 18 मई को गिरफ्तार किया था।

प्रोफेसर महमूदाबाद की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर तत्काल सुनवाई की मांग की। मुख्य न्यायाधीश बी. आर. गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है और इसे 20 या 21 मई को सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है।

प्रोफेसर Ali Khan Mahmudabad कौन हैं?
अली खान महमूदाबाद का जन्म 2 दिसंबर 1982 को हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा लखनऊ के ला मार्टिनियर कॉलेज से प्राप्त की और बाद में इंग्लैंड के किंग्स कॉलेज स्कूल में पढ़ाई की। उन्होंने विनचेस्टर कॉलेज से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। वर्तमान में वे अशोका यूनिवर्सिटी में एसोसिएट प्रोफेसर हैं और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद अशोका यूनिवर्सिटी में राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख हैं और महमूदाबाद के राजा परिवार से ताल्लुक रखते हैं। और 2019 से 2022 तक समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता भी रहे हैं।

राजनीतिक और शैक्षिक प्रतिक्रियाएँ-
पूर्व सांसद रितेश पांडेय ने प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है और उनके पक्ष में न्याय की मांग की है। उन्होंने कहा कि प्रो. महमूदाबाद एक सम्मानित शिक्षाविद् हैं जिनका शिक्षा और सामाजिक कार्यों में अहम योगदान रहा है। इस मामले में पारदर्शिता और निष्पक्षता के साथ जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस गिरफ्तारी की आलोचना की है और कहा है कि भाजपा किसी भी विरोधी आवाज से भयभीत है। उन्होंने प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है।
प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी के खिलाफ अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन, कांग्रेस पार्टी, AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और CPI(M) की नेता सुभाषिणी अली सहित कई शिक्षाविदों और राजनीतिक नेताओं ने विरोध दर्ज कराया है। कांग्रेस के पवन खेड़ा ने इसे “विचारशील पोस्ट” के लिए की गई गिरफ्तारी बताया और कहा कि यह मोदी सरकार के दोहरे मानदंडों को उजागर करता है।


प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शैक्षिक स्वतंत्रता पर एक नई बहस को जन्म दिया है। सुप्रीम कोर्ट में उनकी याचिका पर होने वाली सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि इस मामले में न्यायिक दृष्टिकोण क्या है और यह निर्णय भविष्य में ऐसे मामलों के लिए एक मिसाल स्थापित कर सकता है।

इस मामले की अगली सुनवाई 20 या 21 मई को सुप्रीम कोर्ट में होगी, जहां प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी की वैधता पर विचार किया जाएगा।

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