
(पंच पथ न्यूज़)
पंचपथ ले कर आया है आपके लिए स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी जिसमे हम विशेषज्ञ डॉक्टरों के ज़रिए आपको बताएंगे आपकी बीमारी एवं उनके लक्षणों और उससे जुड़े उपायों के बारे में जिसके जरिये आप अपनी सेहत का स्वयं घर पर ही ख्याल रख उनसे बचाव कर सकते हैं।
आज हम बात करेंगे डॉ साद से RLS (Rest Leg Syndrome) के बारे में आसान भाषा में कहें तो बेचैनी, पैरों में ऐंठन होना भी कहा जा सकता है। ये आपके शरीर मे कैसे आता है और इसका इलाज क्या है।
● यह रोग क्या है ?
डॉ साद बताते हैं कि यह एक संवेदी और गतिशील तंत्रिका परिवर्तन है।
यह एक “सेंसरी-मोटर” परिवर्तन है। जिसमें मरीज़ों को खास तौर पर पैरों में और हांथो में भी कभी कभी असहज महसूस होता है। जैसे रेंगना, झुनझुनी जलन जैसा एहसास होने। इसके साथ ही ज़बरदस्त यह भी इच्छा होती है कि वे अपने अंगों को मतलब पैरों को हिलाएं ऐंठे मरोड़े इत्यादि।
● यह ज़्यादा कब होता है ?
यह बेचैनी आम तौर पर शाम या रात को ज़्यादा होती है। जिससे नींद में बाधा आती है।
यह स्थिति लंबे समय बैठने या आराम करने पर बढ़ जाती है और पैर हिलाने डुलाने पर अस्थायी राहत मिलती है।
● RLS का कारण
नीँद, कैफीन, गर्भावस्था, शरीर मे आयरन की कमी खास कर दिमाग मे डोपामिन नामक रसायन के काम मे बाधा डालती है। जो RLS के लक्षण पैदा कर सकता है।
● डोपामिन डिस्फंक्शन
डोपामिन एक न्यूरो ट्रांसमीटर है जो मास पेशियों की गति को नियंत्रित करता है। इसमें गड़बड़ी होने पर पैरों में बेचैनी या हरकत करने की तेज़ गति से इच्छा होती है।
● गर्भावस्था (Pregnancy)
खास कर तीसरी तिमाही में RLS के लक्षण बढ़ जाते हैं हालांकि डिलेवरी के बाद सामान्यतः यह ठीक हो जाता है।
● परिवार में रोग का इतिहास (Genetics)
यह रोग आनुवंशिक भी हो सकता है। अगर परिवार में किसी को RLS है तो अगली पीढ़ी को होने की संभावना बढ़ जाती है।
● गुर्दे की बीमारी
किडनी फेल होने की स्थिति में शरीर की विशैली पदार्थ जमा हो सकते हैं और आयरन की कमी हो जाती है जिससे RLS हो सकता है।
● न्यूरोलॉजिक रोग
जैसे पार्किंसन रोग, परिहीय न्यूरोपैथी आदि RLS को बढ़ा सकते हैं।
● कैफीन, शराब, और धूम्रपान : इसका अत्याधिक सेवन लक्षणों को खराब कर सकता है।
अब बात करते हैं कि यह कितने प्रतिशत लोगों में पाया जाता है और किन लोगों में पाया जाता है : डॉ साद बताते हैं कि युवाओं और मध्यम आयु वर्ग में 1% से 5% तक पाया जाता है।
60 साल से ऊपर की उम्र में 10% से 20% तक लोगों में पाया जाता है।
यूरोपियन वंश के लोगों में इसकी संभावना अधिक होती है।
भारत में RLS से पुरुषों और महिलाओं की तुलना में अधिक प्रभावित होती है। अगर इसके तुलना की बात की जाए तो महिला पुरुष = लगभग 2:1 यानी दो महिलाओं के मुकाबले एक पुरुष को RLS होता है। पंच पथ के लिए डॉ साद (पूर्व चिकित्साधिकारी)
अगर आपका भी कोई सवाल है या आप किसी बीमारी के टॉपिक पर जानना चाहते हैं तो आप मेल कर सकते हैं (punchpath@gmail.com) इस पते पर, हम अपने अगले भाग में उस टॉपिक पर बात करेंगे। हम आपके लिए हर हफ्ते स्वास्थ्य से जुड़े एक विषय पर बात करेंगे।
(यह लेख केवल स्वास्थ्य जागरूकता और सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। इसमें प्रस्तुत विचार और जानकारी (डॉ साद) पूर्व चिकित्साधिकारी की निजी राय पर आधारित हैं।)