
मनोहर सीतापुर, उत्तर प्रदेश में आयोजित किसान-मज़दूर मेला देखने आए तो उन्हें मेले में असमानता के विरुद्ध जन अभियान का एक स्टॉल दिखाई दिया और वहां लिखे एक नारे ‘अमीरों पर टैक्स बढ़ाओ, जनहित में पैसे लगाओ’ ने उनका ध्यान खींचा। स्टॉल पर जनता से भी इस मुद्दे पर उनके विचार लिए जा रहे थे और मनोहर ने भी अपने विचार लिखने की इच्छा जताई। एक कागज़ पर असमानता ख़त्म करने के लिए अपने विचार लिखने में मनोहर को काफी समय लगा। लिखने के बाद मनोहर ने ज़्यादा समय लेने के लिए माफ़ी मांगी और बताया कि “दरअसल पिछले महीने लुधियाना के एक कारखाने में काम करने के दौरान मेरी दाएं हाथ की एक उंगली मशीन में आ गई जिससे एक उंगली को आधा काटना पड़ा और इस कारण से मुझे लिखने में दिक्कत होती है”। लिखने में असमर्थ होने के बावजूद मनोहर को असमानता के मुद्दे पर अपनी बात मज़बूती से दर्ज करानी थी ताकि फिर कोई उनके कमाई की तलाश में जैसा लुधियाना-मुंबई या दिल्ली के कारखानों में अपनी ऊँगली न गवाए।

असमानता ख़त्म करने के लिए देश के मुट्ठी-भर सबसे अमीर लोगों पर संपत्ति टैक्स और विरासत टैक्स लेकर देश की बहुसंख्यक आबादी के जनहित में लगाने के अभियान को मेले में आए मज़दूर-किसान वर्ग ने ज़रुरी माना और इसका खूब समर्थन किया। मेले का आयोजन सीतापुर जिले के संगतिन किसान मज़दूर संगठन ने किया और बड़ी संख्या गांव-देहात से मज़दूर और किसान मेला देखने आए थे। इनमें एक बड़ी आबादी मनरेगा में काम करने वाले मज़दूरों की थी और उनका असमानता के मुद्दे से जुड़ाव उन्हें कम मिलने वाली मज़दूरी की वजह से हुआ। मिश्रिक ब्लॉक, जिला सीतापुर के प्रकाश ने कहा कि आज अमीर वर्ग और मेहनतकश जनता के बीच एक बड़ी खाई बन चुकी है जिसे पाटना ज़रुरी है और इसके लिए बेहद अमीर लोगों पर टैक्स बढ़ाना समय की मांग है ताकि जनहित से जुड़े काम को प्राथमिकता मिले।
मेले में आए युवाओं ने भी बढ़-चढ़कर असमानता के विरुद्ध इस अभियान का समर्थन किया और अपने विचार रखे। 17 वर्षीय सुरेखा समता युवा मंच से जुड़ी हैं और स्कूली शिक्षा पूरी करके आगे की पढ़ाई करना चाहती हैं। असमानता का एहसास सुरेखा को इस बात से हुआ कि उसके जिले सीतापुर में ऐसा कोई सरकारी विश्वविद्यालय या कॉलेज नहीं है जहाँ छात्रावास की व्यवस्था हो और कम पैसों में उत्तम शिक्षा ग्रहण की जाए। सुरेखा ने कहा कि देश में सभी को समान शिक्षा मिलनी चाहिए और अमीर या गरीब के बच्चों को बराबर के मौके मिलने चाहिए। समता युवा मंच के कुलदीप ने बताया कि उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों सरकारी प्राथमिक विद्यालयों का मर्जर किया जा रहा था जिसमें कई स्कूलों को बच्चों की कम संख्या के आधार पर बंद किया जा रहा था ताकि शिक्षा पर सरकार का कम पैसा लगे। कुलदीप ने आगे कहा कि बजट न होने के बहाने का सबसे मुहतोड़ जवाब यही है कि अमीरों पर टैक्स बढ़ाया जाए और उन पैसों का इस्तेमाल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार जैसे ज़रुरी काम में हो।
गैरबराबरी ख़त्म करने के लिए अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की मांग ने कुछ लोगों के मन में सवाल भी पैदा किए। एक सवाल कई के मन में आया कि अगर अधिक धन कमाने वाले की ये मेहनत की कमाई है तो क्या इसपर अधिक टैक्स लगाना सही है? इस सवाल का जवाब अहम है और मेले में आए लोगों तक इस बात को पहुँचाया गया कि कैसे अधिक धन संचय करने वाले करोड़पति-अरबपतियों ने पूरी संपत्ति मेहनती देशवासियों की दम पर ही बनाई है। जब लोगों को आंकड़ों के ज़रिए यह पता चला कि देश का अमीर वर्ग कमाई की तुलना में आम जनता से कम टैक्स भरता है तब उन्हें अमीरों पर टैक्स बढ़ाने की मांग जायज़ लगी।
8 से 10 नवंबर तक चले एकता, स्वावलंबन और ग्रामीण समृद्धि के प्रतिक वाले इस किसान-मज़दूर मेले में असमानता के मुद्दे की बात लोगों के सभी मुद्दों के साथ जुड़ती हुई दिखाई दी और धन-संपदा के न्यायिक वितरण को सच करने के संघर्ष को सभी ने एक सामूहिक संघर्ष माना।
राज शेखर
सामाजिक कार्यकर्ता