प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद हुए गिरफ्तार, ऑपरेशन सिंदूर को ले कर सोशल मीडिया कर रखे थे अपने विचार

  • रेहान अंसारी

दिल्ली। अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर सोशल मीडिया पर की गई टिप्पणियों के चलते गिरफ्तार कर लिया गया है। उनकी गिरफ्तारी शनिवार देर रात, 17 मई को हरियाणा के सोनीपत जिले के राय क्षेत्र में दर्ज एक शिकायत के आधार पर हुई, जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) युवा मोर्चा के हरियाणा महासचिव योगेश जठेरी द्वारा दायर की गई है। बताया जा रहा है कि योगेश जेठरी हरियाणा के एक गांव के सरपंच हैं, जो महमूदाबाद की टिप्पणी से आहत हुए हैं।



गिरफ्तारी का कारण-
प्रोफेसर महमूदाबाद ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान महिला सैन्य अधिकारियों—कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह—द्वारा की गई प्रेस ब्रीफिंग को ‘दिखावा’ और ‘पाखंड’ बताया था। अली खान द्वारा कर्नल सोफिया कुरैशी की प्रशंसा करने वाले हिंदुत्ववादियों के अंतर्विरोध को उजागर किया था. महमूदाबाद का कहना था कि कर्नल कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह द्वारा की गयी प्रेस ब्रीफिंग का प्रतीकात्मक चेहरा तो महत्वपूर्ण था, लेकिन इसे ज़मीनी हकीकत में बदलना होगा, अन्यथा यह केवल पाखंड है।

उनकी इन टिप्पणियों को हरियाणा राज्य महिला आयोग ने ‘महिला अधिकारियों का अपमान’ और ‘सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाला’ माना। आयोग ने 12 मई को उन्हें नोटिस जारी कर 14 मई को पंचकूला में पेश होने के लिए कहा था, लेकिन वे उपस्थित नहीं हुए और उन्हें अपने वकील के ज़रिए जवाब दाखिल कर दिया था।



प्रोफेसर महमूदाबाद की सफाई-
प्रोफेसर महमूदाबाद ने अपनी टिप्पणियों को गलत समझा गया बताया और कहा कि उनका उद्देश्य युद्ध की विभीषिका और नागरिकों की पीड़ा को उजागर करना था, न कि महिला अधिकारियों का अपमान करना। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी टिप्पणियां व्यक्तिगत थीं और विश्वविद्यालय की राय का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं। महमूदाबाद का यह भी कहना है कि आयोग के पास इस मामले में कोई अधिकार क्षेत्र नहीं है….मुझे जारी किए गए समन यह उजागर करने में विफल रहे कि मेरी पोस्ट महिलाओं के अधिकारों या कानूनों के विपरीत कैसे है।
अली खान महमूदाबाद का यह भी कहना है कि मैंने कर्नल सोफिया कुरैशी का समर्थन करने वाले दक्षिणपंथी सदस्यों की भी सराहना की और उन्हें आम भारतीय मुसलमानों के लिए भी ऐसा ही रवैया अपनाने के लिए कहा, जो दैनिक उत्पीड़न का सामना करते हैं…मेरी टिप्पणी नागरिकों और सैनिकों दोनों के जीवन की सुरक्षा के बारे में थी. इसके अलावा मेरी टिप्पणियों में दूर-दूर तक कोई स्त्री-द्वेष नहीं है जिसे महिला-विरोधी माना जा सके।

विश्वविद्यालय की प्रतिक्रिया-
अशोका यूनिवर्सिटी ने स्पष्ट किया कि प्रोफेसर महमूदाबाद की टिप्पणियां उनकी व्यक्तिगत राय हैं और संस्थान की आधिकारिक नीति या दृष्टिकोण का प्रतिनिधित्व नहीं करतीं।

कानूनी धाराएं-
प्रोफेसर महमूदाबाद पर भारतीय न्याय संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाना, विद्रोह या अलगाव के लिए उकसाना, और धार्मिक विश्वासों का अपमान करना शामिल है।

महमूदाबाद के समर्थन में उतरे लोग-
अली खान महमूदाबाद के समर्थन में बुद्धजीवी, शिक्षाविद, पत्रकार, सेवानिवृत्त आईएएस आईपीएस अधिकारी, राजनीतिक, वैज्ञानिक समेत 1200 लोगों ने हस्ताक्षरित पत्र के साथ समर्थन दिया है।

यह मामला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, अकादमिक स्वतंत्रता और राष्ट्रीय सुरक्षा के बीच संतुलन पर एक महत्वपूर्ण बहस को जन्म दे सकता है।

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