
सीतापुर। जिलाधिकारी अभिषेक आनंद की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में उत्तर प्रदेश स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय (शुल्क विनियमन) अधिनियम 2018 (यथा संशोधित 2020) के प्राविधानों को लागू कराने के संबंध में बैठक सम्पन्न हुयी। बैठक के दौरान जिलाधिकारी ने निर्देश दिये कि निर्धारित मानकों का पालन करते हुये ही शुल्क निर्धारित एवं शुल्क वृद्धि की जाये। उन्होंने निर्देश दिये कि शुल्क वृद्धि का विवरण जिला विद्यालय निरीक्षक को उपलब्ध कराया जाये। इसके साथ ही विद्यालय द्वारा पुस्तकों, स्कूल ड्रेस आदि के संबंध में भी निर्देशों का पालन सुनिश्चित करा जाये। जिलाधिकारी ने चेतावनी देते हुये कहा कि अधिनियम का उल्लंघन पाये जाने पर नियमानुसार कार्यवाही की जायेगी। इसके साथ ही आर0टी0ई0 के अन्तर्गत भी निर्धारित मानकों के अनुसार प्रवेश दिये जाने हेतु समुचित कार्यवाही के निर्देश सभी संबंधित विद्यालयों को दिये गए।
बैठक के दौरान जिला विद्यालय निरीक्षक राजेन्द्र सिंह ने अधिनियम के प्राविधानों के विषय में विस्तारपूर्वक जानकारी दी तथा जिलाधिकारी की अध्यक्षता में गठित जिला शुल्क नियामक समिति के विषय में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि जिला शुल्क नियामक समिति की अनुमति के बिना विद्यालय द्वारा 05 लगातार शैक्षणिक वर्षों के भीतर विद्यालय पोषाक में परिवर्तन नहीं किया जायेगा। साथ ही अनुमत सीमा से अधिक शुल्क वृद्धि के प्रस्ताव को भी जिला शुल्क नियामक समिति स्वीकार या अस्वीकार कर सकती है। इसके साथ ही नियम का पालन न करने पर दण्ड या मान्यता रद्द की जा सकती है। माता-पिता अधिक शुल्क वसूली, सत्र के बीच में शुल्क वृद्धि, विशेष दुकान अथवा दुकानदार से लेने के लिए बाध्य करने आदि के लिए विद्यालय में शिकायत कर सकते हैं तथा 15 दिनों के भीतर समाधान न मिलने पर जिला शुल्क नियामक समिति को शिकायत कर सकते हैं। जिला शुल्क नियामक समिति प्राप्त शिकायत से संबंधित दस्तावेजों का अभिलेखीय परीक्षण कर निर्णय लेगी। जिला शुल्क नियामक समिति के आदेश के विरुद्ध 30 दिन के अंदर मंडलीय स्ववित्तपोषित स्वतंत्र विद्यालय अपीलीय प्राधिकरण में अपील की जा सकती है।
प्रथम बार नियम उल्लंघन करने पर फीस वापसी के साथ एक लाख रूपये तक जुर्माना, दूसरी बार नियम उल्लंघन पाये जाने पर फीस वापसी के साथ पांच लाख तक जुर्माना तथा तीसरी बार नियम उल्लंघन पाये जाने पर फीस वापसी एवं जुर्माने के साथ मान्यता समाप्त की जा सकती है।
जिला विद्यालय निरीक्षक ने बताया कि विद्यालय द्वारा 60 दिन पहले अपनी वेबसाइट और सूचना बोर्ड पर, ब्रॉशर या अन्य मुद्रित सामग्री में फीस की पूरी जानकारी प्रकाशित करनी होगी। कोई विद्यालय समुचित प्राधिकारी अर्थात् जिला शुल्क नियामक समिति की पूर्व अनुमति के बिना सत्र के मध्य में पूर्व सूचित शुल्क से अधिक शुल्क नहीं ले सकता। प्रवेश प्रक्रिया का विवरण जैसे-छात्रों के चयन के आधार, आयु सीमा, प्रत्येक कक्षा में उपलब्ध सीटों की संख्या, पिछले, वर्तमान और आगामी सत्रों में लिए समस्त शुल्क की जानकारी देनी होगी। विद्यालय में उपलब्ध सुविधाएँ, शैक्षणिक विवरण, गतिविधि कैलेंडर जैसी जानकारी विद्यालय वेबसाइट पर और प्रिंटेड फॉर्म में प्रकाशित करनी होगी। विद्यालय वर्ष भर की पूरी फीस एक साथ लेने का नियम नहीं बना सकता। (मासिक, तिमाही या उमाही शुल्क लेने की घोषणा प्रवेश पूर्व करनी होगी) किसी भी प्रकार का डोनेशन या कैपिटेशन फीस लेना मना है। भुगतान के लिए रसीद देना अनिवार्य है। विद्यालय विशेष दुकानदार से किताबें, यूनिफॉर्म आदि खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। ट्रांसपोर्ट, हॉस्टल और भ्रमण जैसी विकल्प आधारित सेवाओं की फीस सिर्फ तभी ली जा सकती है जब छात्र उनका उपयोग कर रहा हो।
अतिरिक्त शुल्क वृद्धि का प्रस्ताव, वित्तीय दस्तावेजों सहित, नए सत्र से कम से कम 3 महीने पहले जिला विद्यालय निरीक्षक को प्रस्तुत करना होगा। विद्यालय जिला शुल्क नियामक समिति की पूर्व स्वीकृति के सिवाय, शैक्षणिक सत्र के दौरान अर्थात् बीच में निर्धारित किए गए शुल्क से अधिक कोई शुल्क प्राप्त नहीं करेगा। विद्यार्थियों से ली जाने वाली समस्त फीस स्कूल की वैध आय मानी जाएगी। विद्यालय परिसर में वाणिज्यिक क्रियाकलाप से होने वाली आय स्कूल के आधिकारिक बैंक खाते में ही जमा की जायेगी। विद्यालय अपनी आय का 15 प्रतिशत तक केवल शैक्षिक विकास के लिए विकास निधि के रूप में प्रबन्ध समिति को दे सकते हैं। इस फंड का उपयोग व्यक्तिगत या व्यावसायिक लाभ के लिए नहीं किया जा सकता, केवल शैक्षिक विकास कार्यों के लिए ही किया जाएगा।
बैठक में अपर जिलाधिकारी नीतीश कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह, अधिशासी अभियन्ता लोक निर्माण विभाग रीमा सोनकर, प्राचार्य राजकीय इण्टर कालेज अनिल कुमार सहित संबंधित अधिकारी, समिति के सदस्य व मान्यता प्राप्त विद्यालयों के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।