
- रेहान अंसारी
दिल्ली (पंच पथ न्यूज़) अशोका यूनिवर्सिटी के राजनीतिक विज्ञान प्रमुख प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद की सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई तक अंतरिम ज़मानत बढ़ा दी है। प्रोफेसर अली खान पर ऑपरेशन सिंदूर को ले कर सोशल मीडिया पर अपने विचार रखने के कारण उनको पहले हरियाणा महिला आयोग का नोटिस और फिर FIR का सामना करना पड़ा था जिसके बाद उनको हिरासत में ले लिया गया और सुप्रीम कोर्ट में इस पूरे मामले की सुनवाई हुई जिसमें 21 मई को महमूदाबाद को अंतरिम ज़मानत दे दी गई थी। जिसे SC ने बुधवार को सुनवाई के बाद अंतरिम ज़मानत और बढ़ा दिया है।
28 मई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद को दी गई अंतरिम ज़मानत की अवधि बढ़ा दी है। यह मामला “ऑपरेशन सिंदूर” पर उनके एक विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट से संबंधित है, जिसके चलते हरियाणा पुलिस ने उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जांच केवल इन दो एफआईआर तक ही सीमित रहेगी और किसी नए मामले को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा ।
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार को निर्देश दिया है कि इस मामले की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (SIT) की रिपोर्ट अगली सुनवाई में प्रस्तुत की जाए। कोर्ट ने यह भी कहा कि अली खान महमूदाबाद के अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार में कोई बाधा नहीं है, लेकिन उन्हें निर्देश दिया गया है कि वे इस मामले से संबंधित कोई भी ऑनलाइन पोस्ट या सार्वजनिक टिप्पणी न करें।
कोर्ट के निर्देश जांच केवल एफआईआर तक ही सीमित रहे-
इससे पहले, 18 मई को उनकी गिरफ्तारी के बाद, सुप्रीम कोर्ट ने 21 मई को उन्हें अंतरिम ज़मानत दी थी । कोर्ट ने यह भी सुनिश्चित किया है कि जांच निष्पक्ष और सीमित दायरे में हो, ताकि किसी भी प्रकार की अनावश्यक जांच से बचा जा सके।
कोर्ट ने यह सख्त हिदायत दी है कि SIT की जाँच केवल FIR तक को सीमित रहे इस मामले को किसी और मामले से न जोड़ा जाए, कोर्ट ने हरियाणा सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि जाँच रिपोर्ट सीधा सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाए।
सोशल मीडिया पर रोक, अभियक्ति की स्वतंत्रता-
प्रोफेसर महमूदाबाद की सुप्रीम कोर्ट में नुमाइंदगी कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कोर्ट से सोशल मीडिया पोस्ट पर लगी रोक हटाने का अनुरोध किया। जिस पर कोर्ट ने कहा कि महमूदाबाद अन्य विषयों पर बोलने का लिखने के लिए स्वतंत्र हैं लेकिन उन मामलों पर नहीं जिन पर संबंधित जाँच चल रही है।
मानवाधिकार आयोग की संज्ञान
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने यह भी उल्लेख किया कि राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने इस मामले का संज्ञान लिया है और हरियाणा सरकार को इसके जवाब देने की आवश्यकता है।
प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद ने “ऑपरेशन सिंदूर” पर एक सोशल मीडिया पोस्ट किया था, जिसे लेकर हरियाणा पुलिस ने उनके खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की थीं। 18 मई को उन्हें गिरफ्तार किया गया था, और 21 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें अंतरिम ज़मानत दी थी ।