ज़िला अस्पताल के डॉक्टरों का प्राइवेट प्रैक्टिस पर ज़्यादा ज़ोर

  • ड्यूटी छोड़ चला रहे प्राइवेट क्लीनिक व अस्पताल, मरीज़ों को रहे लूट

(पंच पथ न्यूज़)
सीतापुर। ज़िला अस्पताल में इस समय मरीज़ों की भीड़ उमड़ रही है। लेकिन ज़िला अस्पताल के डॉक्टरों को इसकी ज़रा भी परवाह नहीं है। ज़िला अस्पताल के डॉक्टर अपनी ड्यूटी छोड़ कर प्राइवेट प्रैक्टिस पर ज़्यादा ज़ोर दे रहे हैं। और कुछ डॉक्टर ऐसे हैं जो ज़िला अस्पताल की ड्यूटी करने के बाद मोटी फीस ले कर मरीज़ों को देख रहे हैं। डॉक्टरों के इस खेल से मरीज़ों और तीमारदारों की जेब खाली होती चली जा रही है। ज़िला अस्पताल के जानकार तो यहाँ तक बताते हैं कि डॉक्टर के सहायक मरीज़ों को बहला फुसला कर ज़िला अस्पताल के डॉक्टर से बाहर दिखाने को कहते है उनका कहना यह होता है कि डॉक्टर साहब को फला टाइम फला जगहा दिखवा लेना तो डॉक्टर साहब अच्छी तरह से देख लेंगे और अच्छी दवा लिख देंगे। मरीज़ बेहतर इलाज की चाह में उसी डॉक्टर को बाहर मोटी फीस दे कर दिखाता है। तो क्या माना जाए कि ज़िला अस्पताल में बेहतर सुविधाएं नहीं है ? या दवाएं उपलब्ध नहीं है ? इसी तरह के तमाम प्रश्न चिन्ह खड़े हो रहे है। ज़िला अस्पताल के डॉक्टर सरकार की साख पर बट्टा लगाने से ज़रा भी नहीं चूक रहे चाहे फिर वो दवाएं हों या फिर जांच दोनों ही बाहर से लिखी जा रही है।
एक तरफ सरकार बेहतर और मुफ्त इलाज के लिए हर स्तर पर कार्यरत है तो वहीं दूसरी तरफ सीतापुर ज़िला अस्पताल के डॉक्टर सरकार के किये कराए पर पानी फेरने में ज़रा भी नहीं चूक रहे। बुधवार को सुबह 11 बज कर 15 मिनट पर ज़िला अस्पताल के फिजिशियन डॉ अरशद जमाल अपनी ड्यूटी छोड़ नदारत थे मरीज़ों से बात करने पर पता चला की डॉ अरशद जमाल मंगलवारकक्ष को भी नहीं बैठे थे उनकी जगह जूनियर डॉक्टर मरीज़ों को दवा लिखता नज़र आया। जानकार ये भी बताते हैं कि डॉ अरशद जमाल ने जीआईसी चौराहे के निकट अपना निजी अस्पताल खोल रखा है जिसके चलते वह ज़्यादातर समय उसी अस्पताल में बिताते है फिर चाहे वो उनकी ड्यूटी का समय हो या फिर ड्यूटी के बाद का समय और सीतापुर का स्वास्थ्य महकमा सरकारी डॉक्टरों की प्राइवेट प्रैक्टिस पर लगाम लगाने में नाकाम दिखाई दे रहा है।

अव्यवस्था-
यह दृश्य बुधवार को ज़िला अस्पताल सीतापुर का है। जहाँ मेडिकल B वार्ड के बाहर ज़ंजीर और ताले से जकड़ी स्ट्रेचर।

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