
- देश की कई कला प्रदर्शनियों में प्रदर्शित हो चुकी हैं पेंटिंग्स
(पंचपथ) सीतापुर। “हम भी दरिया हैं हमें अपना हुनर मालूम है, जिस तरफ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जायेगा|” मशहूर शायर बशीर बद्र का ये शेर शाहरुख़ अंसारी पर बिलकुल सटीक बैठता है, जिन्होंने अपने हुनर से सीतापुर का नाम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रोशन किया है| इनकी पेंटिंग्स फ्रांस की राजधनी पेरिस के तीन दिवसीय आर्ट एग्ज़िबिशन में प्रदर्शित हो रही हैं|
पेरिस के गैलरिया एम में सिटी आर्ट फैक्ट्री द्वारा 4 से 6 जुलाई तक आयोजित “फोर्ट्रेस” ऑनसाइट फाइन आर्ट एक्ज़ीबिशन में भारत के कुछ चुनिन्दा कलाकारों की पेंटिंग्स ही चयनित की गयीं थीं जिसमें शाहरुख़ की दो पेंटिंग्स “होप” और “मोस्क़ी” भी शामिल है।

पुराना सीतापुर के क़ज़ियारा निवासी शाहरुख़ अंसारी बिहार के लखीसराय में केन्द्रीय विद्यालय में कला शिक्षक हैं, वो छात्र जीवन से ही कला के क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं| लखनऊ विश्वविद्यालय से फाइन आर्ट में स्नातक करने के पश्चात उन्होंने जामिया मिल्लिया इस्लामिया से फाइन आर्ट में मास्टर डिग्री हासिल की| इससे पहले राष्ट्रीय स्तर पर उनकी कई पेंटिंग्स कई कला प्रदर्शनियों की शोभा बढ़ा चुकी हैं| कला के क्षेत्र में उनको “प्रफुल्ल दहुनकर आर्ट फाउंडेशन सिटी अवार्ड” से सम्मानित भी किया जा चुका है|

अपनी पेंटिंग्स के बारे में शाहरुख़ बताते हैं कि “होप” नामक पेंटिंग में दुनिया में चल रही युद्ध की विभीषिका और शांति की उम्मीद को दर्शाया गया है, जिससे हमारी धरोहरों को होने वाले नुकसान से दुनिया को आगाह कराना है| उनकी इस पेंटिंग के आधे हिस्से में मुस्कुराते हुई स्त्री के कान में सुन्दर पृथ्वी को देखा जा सकता ही वहीँ दूसरे हिस्से में स्त्री की मायूसी और परमाणु विनाश वाली पृथ्वी को दिखाया गया है| इसके माथे में परमाणु बम और गले के हार में हथियार दर्शाए गये हैं| वहीँ “मोस्क़ी” नामक पेंटिंग में झरोखे से आती हुई रौशनी को कंटेम्परी स्टाइल में दर्शाया गया है|

शाहरुख़ की इस उपलब्धि पर उनके माता-पिता, भाई, दोस्त और शुभचिंतकों ने उन्होंने शुभकामनाएँ देते हुए उनके उज्जवल भविष्य की कामना की|