
(पंच पथ न्यूज़) सीतापुर। उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुए पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी हत्याकांड में पुलिस को बड़ी कामयाबी मिली है। बुधवार सुबह सीतापुर-हरदोई सीमा के पास पिसावां थाना क्षेत्र में STF और स्थानीय पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में इस सनसनीखेज हत्याकांड के दोनों मुख्य आरोपी—संजय तिवारी उर्फ अकील और राजू तिवारी उर्फ रिजवान को मार गिराया गया।
क्या है पूरा मामला: दिनदहाड़े गोली मारकर हत्या,
पत्रकार राघवेंद्र वाजपेयी की हत्या ने पूरे उत्तर प्रदेश को झकझोर दिया था। घटना 8 मार्च 2025 के दोपहर करीब 3 बजे सीतापुर हेमपुर नेरी पुल के पास घटी थी। राघवेंद्र वाजपेयी अपनी बाइक से किसी निजी कार्य से लौट रहे थे, तभी बाइक सवार दो बदमाशों ने उन्हें निशाना बनाते हुए ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं। घटनास्थल पर ही उनकी मौत हो गई। हत्या के बाद आरोपी मौके से फरार हो गए थे।
राघवेंद्र एक सक्रिय पत्रकार थे और पिछले कई वर्षों से क्षेत्रीय सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को लेकर रिपोर्टिंग कर रहे थे। हत्या के पीछे के कारणों को लेकर कई कयास लगाए जा रहे थे।

STF और पुलिस की संयुक्त मुठभेड़ में दोनों आरोपी ढेर-
घटना के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस जघन्य कांड पर नाराज़गी जताते हुए आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी के निर्देश दिए थे। इसी के तहत STF और सीतापुर पुलिस ने संयुक्त रूप से मोर्चा संभाला।
बुधवार सुबह लगभग 6 बजे पिसावां थाना क्षेत्र के दुल्लापुर तिराहे के पास पुलिस को दोनों आरोपियों की लोकेशन मिली। पुलिस ने उन्हें चारों ओर से घेर लिया, लेकिन दोनों ने हथियार निकालकर पुलिस पर फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की गोलियों से दोनों शूटर गंभीर रूप से घायल हो गए। तुरंत उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया।
कौन थे आरोपी? कैसे हुई पहचान?
पुलिस जांच में सामने आया कि दोनों आरोपी संजय तिवारी और राजू तिवारी ने घटना को अंजाम देने के लिए बदले हुए नाम (अकील और रिजवान) का भी इस्तेमाल किया था ताकि पहचान छिपाई जा सके। घटनास्थल के आसपास के CCTV फुटेज और मोबाइल सर्विलांस की मदद से पुलिस को सुराग मिले, जिसके बाद उन्हें ट्रैक किया गया।
पुलिस सूत्रों के अनुसार, दोनों आरोपी पेशेवर शूटर थे और पहले भी कई आपराधिक घटनाओं में संलिप्त रहे हैं। इनके खिलाफ कई आपराधिक मुकदमे पहले से दर्ज थे।
पत्रकारों में रोष, पुलिस की कार्रवाई पर संतोष
इस घटना ने पत्रकार समुदाय को गहरा आहत किया। पत्रकार संगठनों ने पहले दिन से ही दोषियों की गिरफ्तारी की मांग को लेकर प्रदर्शन भी किया था। अब मुठभेड़ में दोनों आरोपियों के मारे जाने के बाद पत्रकारों और आम जनमानस ने पुलिस प्रशासन की तत्परता की सराहना की है।
हालांकि साथ ही यह मांग भी उठी है कि सरकार को पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विशेष नीति लानी चाहिए और मीडिया कर्मियों को ‘फ्रंटलाइन वर्कर’ की तरह सुरक्षा मुहैया कराई जानी चाहिए।