SITAPUR : सरकारों की लड़ाई में चोट झेल रहा बुनकर समाज

  • कारखाने बंद होने की कगार पर, 200 गाँवो पर छाया बेरोज़गारी का संकट

  रेहान अंसारी पंच पथ
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सीतापुर। दो देशों की आपसी समन्वय न होने के कारण अब इसकी मार बुनकर समाज तक पहुंच रही है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से निर्यात पर 50 प्रतिशत तक का टैरिफ लगा दिया है। जिससे कि सीतापुर के दरी निर्यातकों पर संकट गहरा गया है। दरी कारोबारी पहले से ही देश के टैक्स की मार झेल रहे हैं ऐसे में अमेरिका से हो रहे व्यापार पर अब 50 प्रतिशत का टैरिफ लगने से अब यह मार दोहरी हो गई है। और दरी निर्यातकों की कमर तोड़ रही है।

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले 25 प्रतिशत का टैरिफ लगाया फिर 27 अगस्त को इसे बढ़ा कर 50 प्रतिशत कर दिया। इसका सीधा असर निर्यातकों, दरी कारखानों के संचालकों से ले कर पूरे बुनकर समाज पर यह असर दिखाई दे रहा है।

सीतापुर का दरी कारोबार लगभग 70 प्रतिशत अमेरिका से होता है। लेकिन अब यह डगर मुश्किल दिखाई दे रही है। दरी कारोबारियों का कहना है कि यान पर आज़ादी के बाद से कभी टैक्स नहीं लगा देश की सरकार ने उस पर अब टैक्स लगाना शुरू कर दिया। हथकरधा कारीगर अपने हुनर और मेहनत से काम को तैयार करते हैं और यह सरकार उस भी टैक्स ले रही है। और उसके बाद दूसरे देश भी हम पर टैक्स लगाएंगे तो यह कारोबार कैसे चल पाएगा। सरकारों की लड़ाई में इसकी मार हम कारोबारियों को चुकानी पड़ रही हैं सरकार को इस ओर ध्यान देना चाहिए।

हफ़िज़िया आर्ट एंड क्राफ्ट के संचालक हाफिज़ मोहम्मद अकरम बताते हैं कि आज़ादी के बाद से आज तक कभी यान पर टैक्स नहीं लगा लेकिन वर्तमान सरकार ने इस पर भी टैक्स लगा दिया और सरकार की विदेशों से रिश्ते खराब होने के कारण इसकी मार हम लोगों को झेलनी पड़ रही है। और अब टैरिफ ने कारोबार की कमर तोड़ कर रख दी है। इतनी कमाई नहीं है कि हम लोग दोहरी टैक्स की मार सहन कर पाएं। जनपद के करीब 200 गाँवों के लोग दरी बनाने का काम करते हैं उनकी रोजी रोटी पर भी संकट है।

उत्तर प्रदेश में एक जिला एक उत्पाद के तहत (ODOP) दरी उद्योग का चयन है। लेकिन अब यह उद्योग संकट के दौर से गुज़र रहा है। दरी के कारखानों में काम करने वाले बुनकर मज़दूरों की रोजी रोटी पर संकट आ गहराया है। दरी बुनकर कोई फलों का ठेला लगाने को मजबूर है तो कोई अन्य काम की तलाश मे है। अपने हाँथ का हुनर होने का बावजूद अब वे लोग दूसरे काम की तलाश में है।

टैरिफ लगने से दरी निर्यातकों की कमर टूटती दिखाई दे रही है। पूरा कारोबार बेपटरी होता जा रहा। कारोबार को पटरी पर कैसे लाया जाए इसकी चिंता निर्यातकों को सता रही है। क्योंकि एक निर्यातक के पीछे करीब हज़ारों लोगों की रोजी रोटी का सवाल है।

ज़िला उद्योग उपायुक्त संजय सिंह का कहना है कि बुनकर समाज की हर संभव मदद की जा रही है उद्योग के लिए बैंकों से लोन भी दिलवाया जा रहा है। सरकार की सारी योजनाएं उन तक पहुंचाई जा रही है। और रही बात अमेरिका के टैरिफ लगाने की तो हम दूसरे देशों से व्यापार बढ़ाएंगे।

 

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