
- रेहान अंसारी
नई दिल्ली। (पंच पथ न्यूज़) देश में बढ़ते साइबर फ्रॉड और मोबाइल चोरी पर सख्ती बरतते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है। सरकार ने सभी स्मार्टफोन कंपनियों — एपल, सैमसंग, वीवो, ओप्पो, शाओमी और अन्य ब्रांड्स — को आदेश दिया है कि वे अपने सभी नए स्मार्टफोनों में ‘Sanchar Saathi’ साइबर सुरक्षा ऐप को अनिवार्य रूप से प्री-इंस्टॉल करें। सरकार के आदेश के मुताबिक, यह ऐप फोन में पहले से मौजूद होगी और यूज़र इसे न तो डिलीट कर सकेंगे और न ही डिसेबल। कंपनियों को इस आदेश का पालन करने के लिए 90 दिन का समय दिया गया है।
भारत सरकार की दूरसंचार विभाग (DoT) ने 28 नवंबर, 2025 को एक गुप्त निर्देश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि देश में बिकने वाले हर नए स्मार्टफोन में ‘Sanchar Saathi’ ऐप प्री-इंस्टॉल होनी चाहिए। जिन स्मार्टफोनों की आपूर्ति पहले हो चुकी है — यानी जो अभी मार्केट में है या शिपमेंट में है — उन पर सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से यह ऐप डिलीवर करनी होगी।
आदेश के अनुसार, फ़ोन निर्माता कंपनियों — जैसे Apple, Samsung, Vivo, Oppo, Xiaomi — को इसके पालन के लिए 90 दिन का समय मिला है।
Sanchar Saathi ऐप — क्या है, और कैसे काम करता है।
सरकार के मुताबिक इस ऐप का उद्देश्य मोबाइल-संबंधित साइबर अपराध, धोखाधड़ी और चोरी को रोकना है। इस ऐप के प्रमुख फ़ीचर्स में शामिल हैं:
● अगर आपका फोन खो जाए या चोरी हो जाए — तो उसे ब्लॉक या ट्रैक करना संभव।
● मोबाइल का IMEI नंबर वेरिफ़ाई करना: अगर फ़ोन का IMEI फर्जी या डुप्लीकेट हो, तो उससे कनेक्शन ब्लॉक किया जा सकेगा।
● संदेह — जैसे चोरी/फर्जी फोन इस्तेमाल — की रिपोर्ट करना।
● नेटवर्क स्तर पर फर्जी/धोखाधड़ी वाले कनेक्शनों को बंद करना।
सरकार का कहना है कि इससे फर्जी IMEI व फर्जी कनेक्शन रजिस्ट्रेशन — जो साइबर फ्रॉड, फोन चोरी, फोन की ब्लैक-मार्केट बिक्री आदि में सहायक होते हैं को रोका जा सकेगा।
अब तक का डेटा ऐप की सक्रियता और प्रभाव क्या कहता है ?
ऐप को 2025 में लॉन्च किया गया था। सरकार के आँकड़ों के अनुसार — लॉन्च के बाद से अब तक लगभग 700,000 (7 लाख) खोए या चोरी हुए फोन इस ऐप की मदद से रिकवर किए जा चुके हैं। उदाहरण के तौर पर, सिर्फ अक्टूबर 2025 में करीब 50,000 फोन रिकवर हुए थे। इसके अलावा, सरकार दावा कर रही है कि फर्जी/धोखाधड़ी वाले लाखों कनेक्शन ब्लॉक हुए हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि सरकार के अनुसार — Sanchar Saathi ऐप पहले से ही काफी सक्रिय और उपयोगी साबित हो चुकी है।
सरकार का तर्क है कि भारत में मोबाइल कनेक्शन और स्मार्टफोन की संख्या बहुत अधिक है — करीब 1.2 बिलियन (120 करोड़ से अधिक) सब्सक्राइबर्स। यहाँ फोन चोरी, फ्रॉड, नकली/डुप्लीकेट IMEI, फर्जी कनेक्शन आदि की घटनाएं बढ़ रही हैं।
Sanchar Saathi को अनिवार्य बनाने से — चोरी हुए फोन ट्रैक/ब्लॉक हो सकेंगे, फ्रॉड कनेक्शन काटे जा सकेंगे, और कुल मिलाकर फोन-नेटवर्क व साइबर सुरक्षा मजबूत होगी।
विवाद, आलोचना और सुरक्षा-गोपनीयता (प्राइवेसी) की बढ़ी चिंताएँ
हालाँकि सरकार इस कदम को सुरक्षा व सुविधा-केंद्रित बता रही है, लेकिन इस पर कई तरह की आलोचना भी हो रही है:
कुछ गोपनीयता व डिजिटल-अधिकार संगठन इसे “निगरानी” या “यूज़र की सहमति (consent) के बिना” सरकार द्वारा फोन पर नियंत्रण कह रहे हैं।
कंपनियों की नीतियाँ — विशेषकर Apple की — इस तरह की अनिवार्य, प्री-इंस्टॉल ऐप के लिए अनुकूल नहीं थीं; इसलिए विशाल कंपनियों और सरकार के बीच टकराव की संभावना है।
आलोचक कह रहे हैं कि जब एक राज्य-मालिकाना ऐप अनिवार्य रूप से हर फोन में होता है — और यूज़र उसे डिलीट नहीं कर सकते — तो यह डिजिटल अधिकार, निजता व उपयोगकर्ता-स्वतंत्रता के लिए ख़तरा हो सकता है।
तो वहीं सरकार का कहना है कि इस कदम से मोबाइल-चोरी, फर्जी कनेक्शन और साइबर फ्रॉड जैसी समस्याओं से निपटना आसान होगा, और पिछले कुछ महीनों में इस ऐप ने लाखों फोन रिकवर किए हैं — जो कि आंकड़ों से साबित है।
लेकिन उपयोगकर्ता की सहमति (consent), प्राइवेसी, डिजिटल स्वतंत्रता, और डेटा-सुरक्षा के सवाल भी महत्वपूर्ण हैं। जब एक ऐप हर फोन में अनिवार्य हो, और उसे हटाना या बंद नहीं कर पाना संभव हो — तब यह तय करना चाहिए कि सुरक्षा और अधिकारों के बीच संतुलन कहाँ तय किया जाए।
सरकार, फोन निर्माता कंपनियाँ, डिजिटल-अधिकार संगठन और आम उपयोगकर्ता — सभी के लिए यह एक नया मोड़ है। आने वाले हफ्तों में जब यह आदेश लागू होगा, तब इसकी सकारात्मक या नकारात्मक असर अधिक स्पष्ट हो सकेगा।



