उर्दू भारत की सभ्यता और संस्कृति का नाम है: मस्त हफीज रहमानी

  • उर्दू प्रेमियों से बातचीत करते हुए उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले पर खुशी जाहिर की

    सीतापुर। उर्दू हमारी भाषा का नाम है। हमारी भाषा का तात्पर्य हम भारतीयों की भाषा से है। जो न तो किसी धर्म की भाषा है और न ही किसी जाति या संप्रदाय की भाषा है। उर्दू एक ऐसी भाषा है जो सभ्यता का प्रतीक होने के साथ-साथ विश्व की सभी विकसित भाषाओं का सुन्दर संग्रह भी है। उक्त बातें बज़्म उर्दू सीतापुर के अध्यक्ष एवं मशहूर शायर व पत्रकार मस्त हफीज रहमानी ने अपने आवास पर मुलाकात करने आए उर्दू समर्थक मित्रों से कहीं। उन्होंने कहा कि उर्दू भाषा एक परंपरा और संस्कृति का रूप ले चुकी है। ऐसा उदाहरण दुनिया की कोई भी भाषा नहीं दे सकती। हर युग में इस बात को मान्यता दी गई है और आगे भी दी जाती रहेगी।
    मस्त हफीज रहमानी ने कहा कि भारत के सर्वोच्च न्यायालय के प्रतिष्ठित न्यायाधीशों ने इस तथ्य को स्वीकार करके इतिहास में एक स्वर्णिम मुकुट जोड़ा है, जो किसी भी प्रशंसा योग्य है। लेकिन इस खुशी के साथ उर्दू संस्थाओं और भाषा व साहित्य प्रेमियों की जिम्मेदारियां भी बढ़ जाती हैं। उर्दू भाषी होने के नाते यह हमारा कर्तव्य है कि हम अपना सारा निजी काम उर्दू में ही करें। उर्दू किताबें, समाचार पत्र, मैगजीन और जर्नल खरीदकर पढ़ने चाहिए। हर घर में एक उर्दू समाचार पत्र और पत्रिका होनी चाहिए ताकि हमारे बच्चों में उर्दू के प्रति रुचि पैदा हो सके और उन्हें उर्दू के महत्व और उपयोगिता के साथ-साथ एक लुप्त होती सभ्यता से परिचित होने में मदद मिल सके। हमारे समाज में उर्दू के प्रति घृणा की जो प्रवृत्ति विकसित हुई है, उसे दूर करने के लिए सभी बैनर, पोस्टर, शादी के निमंत्रण पत्र आदि उर्दू में भी छपवाए जाने चाहिए।
    उन्होंने इस अवसर पर यह भी कहा कि अपने देशवासियों, विशेषकर जो लोग उर्दू को भारतीय भाषा नहीं मानते, उन्हें इसके प्रति जागरूक करने तथा उन्हें सच्चाई से अवगत कराने के लिए कविता पाठ, संगोष्ठियां, साहित्यिक सत्र, शिष्टाचार प्रतियोगिताएं, सुलेख प्रतियोगिताएं आदि कार्यक्रम निरंतर चलाने होंगे। उर्दू एक अमर संस्कृति का नाम है जिसकी जड़ें भारत में हैं और शाखाएं पूरी दुनिया में फल-फूल रही हैं। हमें गर्व है कि उर्दू भारतीय संस्कृति की नींव है। भावी पीढ़ियों को उर्दू से परिचित कराना हमारी जिम्मेदारी है। हमें उर्दू भाषा और साहित्य के सेवक होने पर गर्व है।
    इस अवसर पर बड़ी संख्या में उर्दू प्रेमी और बज़्म-ए-उर्दू के सदस्य उपस्थित थे।

Related Articles

Back to top button