BREAKING NEWS : UP में 5000 से अधिक स्कूलों के मर्जर पर लगी मुहर, याचिका खारिज

(पंच पथ न्यूज़) लखनऊ। उत्तर प्रदेश में 5000 से अधिक प्राथमिक और जूनियर स्कूलों के मर्जर (विलय) के खिलाफ दाखिल याचिका को लखनऊ हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया है। यह फैसला सिंगल बेंच के न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने 7 जुलाई सोमवार को सुनाया। उन्होंने याचिका खारिज करते हुए कहा कि शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार और संसाधनों के बेहतर उपयोग के उद्देश्य से सरकार द्वारा लिया गया यह निर्णय उचित है।

अब जाने क्या है मामला-
16 जून 2025 को बेसिक शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी कर हजारों 50 से कम बच्चों वाले छोटे विद्यालयों को नजदीकी उच्च प्राथमिक या कंपोजिट स्कूलों में मर्ज करने का निर्देश दिया था। सरकार ने इस फैसले को शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने और संसाधनों के बेहतर उपयोग की दिशा में एक कदम बताया था।

सीतापुर के बच्चों ने हाईकोर्ट याचिका दायर कर जताई थी आपत्ति-
इस आदेश के खिलाफ सीतापुर जिले की छात्रा कृष्णा कुमारी समेत 51 छात्रों ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी। साथ ही एक अन्य याचिका में यह दलील दी गई कि यह आदेश मुफ़्त और अनिवार्य शिक्षा अधिकार कानून (RTE Act) का उल्लंघन करता है। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि छोटे बच्चों को दूर स्थित नए स्कूलों तक पहुंचना कठिन होगा, जिससे उनकी पढ़ाई पर विपरीत प्रभाव पड़ेगा और इससे शिक्षा में विषमता और असमानता बढ़ेगी।

कोर्ट की कार्यवाही-
4 जुलाई को सुनवाई पूरी होने के बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित कर लिया था जिसके बाद 7 जुलाई को याचिका खारिज करते हुए कहा कि सरकार का यह कदम नीति के तहत है और इससे बच्चों को बेहतर सुविधाएं और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।

 बेसिक शिक्षा अधिकारी ने पंच पथ की बातचीत-
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए सीतापुर के बेसिक शिक्षा अधिकारी अखिलेश प्रताप सिंह ने कहा,
“यह विभाग की जीत है। माननीय न्यायालय ने सरकार की नीतियों को समझा है और अब हम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप आगे की कार्रवाई करेंगे।”
पंच पथ से बातचीत में बीएसए ने यह भी कहा कि,
“कुछ अध्यापकों ने अपने निजी हितों के चलते बच्चों को गुमराह किया और मर्जर की प्रक्रिया को गलत तरीके से प्रस्तुत किया। लेकिन अब न्यायालय के फैसले से स्थिति स्पष्ट हो गई है और बच्चों के भविष्य के हित में हम मजबूती से आगे बढ़ेंगे।”

लखनऊ हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद यूपी में स्कूलों के मर्जर की प्रक्रिया को कानूनी मान्यता मिल गई है और इसे शिक्षा सुधार की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है। हालांकि इससे ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में छोटे बच्चों को स्कूल जाने में आने वाली चुनौतियों पर बहस अभी भी जारी है।

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