SITAPUR : लगातार बारिश से बिगड़े हालात, नदियों का जलस्तर बढ़ा, जनजीवन अस्त-व्यस्त

  • शारदा बैराज से 1.72 लाख क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज
  • सीतापुर में बारिश का कहर, नदियां उफान पर, स्कूल तीसरे दिन बंद

● रेहान अंसारी

(पंच पथ न्यूज़) सीतापुर। पिछले कई दिनों से लगातार हो रही मूसलधार बारिश ने सीतापुर जनपद में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। लगातार बरसात के कारण जिले की नदियों का जलस्तर बढ़ गया है, जिससे बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। कई इलाकों में पानी भरने से लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। स्कूलों में लगातार तीसरे दिन भी छुट्टी घोषित कर दी गई है, जिससे बच्चों की पढ़ाई भी प्रभावित हो रही है।

नदियों का जलस्तर बढ़ा, खतरे के निशान के करीब-
कार्यालय सहायक अभियंता-तृतीय, सीतापुर प्रखंड शारदा नहर की रिपोर्ट के मुताबिक, घाघरा, सरायन और गोमती नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। बुधवार 6 अगस्त सुबह 11 बजे तक कि रिपोर्ट के मुताबिक।

नदियों का जलस्तर (06 अगस्त सुबह 11 बजे तक)
कार्यालय सहायक अभियंता-तृतीय, सीतापुर प्रखंड शारदा नहर द्वारा जारी गेज रिपोर्ट के अनुसार नदियों की स्थिति इस प्रकार है:

● गोमती नदी (नीमसार): 121.30 मीटर (खतरे का जल स्तर 123.10 मीटर, न्यूनतम गेज 117.00 मीटर) गोमती खतरे के निशान के करीब पहुंचती दिखाई दे रही है।
● तो वहीं सीतापुर शहर की बात करें तो सरायन नदी (कैंचिपुल- सीतापुर): 130.20 मीटर दर्ज किया गया। (खतरे का स्तर 131.00 मीटर, न्यूनतम गेज 125.80 मीटर) लगातार हो रही वृद्धि के कारण नदी किनारे रह रहे लोगों पर खतरा मंडराने लगा है।
● घाघरा नदी (ग्राम अंगरौरा): 118.60 मीटर दर्ज किया गया। (खतरे का स्तर 119.00 मीटर, न्यूनतम गेज 117.00 मीटर) लगातार घाघरा नदी में हो रही वृध्दि के कारण ग्रामीण पलायन को हो रहे मजबूर।
चौका नदी (महमूदाबाद बांध कि मी० 9.400) व चौका नदी (ग्राम-का कनखरी): आज का डेटा उपलब्ध नहीं (NIL), लेकिन जलस्तर सामान्य से ऊपर बताया जा रहा है।

बैराजों से बढ़ा डिस्चार्ज, बाढ़ का खतरा गहराया
● बनबसा बैराज: 219.70 मीटर, डिस्चार्ज 1,60,110 क्यूसेक
● शारदा बैराज: 135.45 मीटर, डिस्चार्ज 1,72,114 क्यूसेक
● गिरिजा/घाघरा बैराज: 135.80 मीटर, डिस्चार्ज 1,72,973 क्यूसेक

शहर के बीच से बहती सरायन नदी

लगातार पानी छोड़े जाने से निचले इलाकों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई है जिससे हालात लगातार बिगड़ते दिखाई दे रहे हैं। बीते 24 घंटो में नदियों जल स्तर लगातार बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। ग्रामीण पलायन को मजबूर हैं। इलाके के कई गांवों में पानी घुस चुका है और करीब 35 गांव बाढ़ से घिरकर टापू बन गए हैं। 2 दिनों के भीतर लगभग 80 बीघा से अधिक की कृषि भूमि कटकर नदियों में समा चुकी है। और अभी तक लगभग 500 बीघा खेत जलमग्न हो चुके हैं।
लगातार जलस्तर बढ़ता देख लोग अपनी गृहस्ती समेट ऊंचे स्थान पर कूच करने को मजबूर हैं।

लगातार बारिश से बिगड़े हालात
बीते 24 घंटों में सीतापुर में 45 मिमी बारिश दर्ज की गई। शहर और ग्रामीण इलाकों की गलियां और सड़के जलमग्न हो गई हैं। कई गांवों में संपर्क मार्ग टूटने और पानी भरने से लोगों की आवाजाही ठप हो गई है। घरों में पानी घुसने से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर पलायन करने लगे हैं।
शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में जलभराव की समस्या : लगातार बारिश से सीतापुर शहर के कई मोहल्लों में पानी भर गया है। लोग अपने घरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। कई जगह नालियां और ड्रेनेज सिस्टम ओवरफ्लो हो गए हैं। ग्रामीण इलाकों में खेतों में पानी भरने से फसलों को नुकसान पहुंचने की आशंका जताई जा रही है।

शिक्षा व्यवस्था पर असर, स्कूल लगातार बंद
अत्यधिक बारिश के कारण प्रशासन ने सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए लगातार तीसरे दिन भी सभी स्कूलों में अवकाश घोषित कर दिया। भारी बारिश और जलभराव के कारण बच्चों के स्कूल आना खतरनाक माना गया है। स्कूलों के बंद होने के कारण छात्र छात्राओं के पढ़ाई का शेड्यूल बिगड़ता दिखाई दे रहा हैम

जिला प्रशासन ने नदियों के किनारे बसे गांवों में अलर्ट जारी किया है। शारदा और घाघरा बैराज से पानी छोड़े जाने के चलते निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ गया है। राहत एवं बचाव दलों को तैयार रहने के निर्देश दिए गए हैं। गांवों में मुनादी कर लोगों से सतर्क रहने की अपील की जा रही है।
कई घरों में पानी भरने से लोगों का रहना मुश्किल हो गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में संपर्क मार्ग टूटने लगे हैं, जिससे आवाजाही प्रभावित है। बिजली आपूर्ति बाधित होने से गांवों और कस्बों में रातें अंधेरे में कट रही हैं। बाजारों में भी कीचड़ और जलभराव से खरीदारों की आवाजाही कम हो गई है। जिससे लोगों के व्यापार पर काफी असर पड़ा है।

प्रशासन की अपील
जिला प्रशासन ने नागरिकों से अपील की है कि वे अनावश्यक बाहर न निकलें और बारिश के दौरान नदियों या नालों के पास जाने से बचें। आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों पर संपर्क करने के निर्देश दिए गए हैं।

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