कौन हैं BJP के पंकज चौधरी? जातीय समीकरण से लेकर 2027 तक क्यों अहम माने जा रहे हैं

  • रेहान अंसारी

लखनऊ (पंच पथ न्यूज़) भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता पंकज चौधरी इन दिनों उत्तर प्रदेश की राजनीति में लगातार चर्चा में बने हुए हैं। पूर्वांचल से लेकर दिल्ली की सत्ता तक मजबूत पकड़ रखने वाले पंकज चौधरी न सिर्फ संगठन के अनुभवी नेता हैं, बल्कि सामाजिक और जातीय समीकरणों के लिहाज से भी बीजेपी के लिए अहम चेहरा माने जाते हैं।

पंकज चौधरी का जन्म 20 नवंबर 1964 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में हुआ। उन्होंने राजनीति की शुरुआत नगर निगम पार्षद के रूप में की और बाद में उपमहापौर भी बने। जमीनी राजनीति से निकले पंकज चौधरी ने संगठन में लंबा सफर तय किया और महाराजगंज लोकसभा सीट से कई बार सांसद चुने गए। लगातार चुनावी जीत ने उन्हें पूर्वांचल में बीजेपी का मजबूत स्तंभ बना दिया।

केंद्र में नरेंद्र मोदी सरकार के दौरान पंकज चौधरी को वित्त मंत्रालय में राज्य मंत्री की जिम्मेदारी दी गई। इस भूमिका में उन्होंने आर्थिक और राजस्व से जुड़े अहम मामलों को संभाला। संगठन और सरकार—दोनों का अनुभव रखने वाले नेताओं में उनका नाम प्रमुखता से लिया जाता है।

जातीय पहचान और सियासी गणित
पंकज चौधरी कुर्मी जाति से आते हैं, जो उत्तर प्रदेश की ओबीसी श्रेणी में एक प्रभावशाली और संगठित वोट बैंक मानी जाती है। खासकर पूर्वांचल, अवध और तराई क्षेत्रों में कुर्मी समाज की अच्छी खासी राजनीतिक भागीदारी रही है। बीजेपी लंबे समय से ओबीसी वोट बैंक को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है और ऐसे में पंकज चौधरी का कद और उनकी सामाजिक पृष्ठभूमि पार्टी के लिए अहम हो जाती है।

पंकज चौधरी बने यूपी बीजेपी अध्यक्ष तो 2027 में क्या असर पड़ेगा?
राजनीतिक जानकारों के मुताबिक, यदि बीजेपी पंकज चौधरी को उत्तर प्रदेश का प्रदेश अध्यक्ष बनाती है, तो इसका सीधा फायदा ओबीसी वर्ग, खासकर कुर्मी और उससे जुड़े अन्य पिछड़ा वर्गों में पार्टी की पकड़ को और मजबूत करने में मिल सकता है। 2024 और 2022 के चुनावों में जातीय संतुलन को लेकर विपक्ष के हमलों के बीच बीजेपी को एक मजबूत ओबीसी चेहरे की जरूरत महसूस की जा रही है। हालांकि अब पंकज चौधरी का प्रदेश अध्यक्ष बनना लगभग तय माना जा रहा है। महज़ औपचारिक घोषणा होना बाकी है।

पंकज चौधरी का अध्यक्ष बनना पूर्वांचल में संगठन को नई ऊर्जा दे सकता है, जहां 2027 के विधानसभा चुनाव में सीटों की संख्या काफी अहम रहने वाली है। इसके साथ ही, गैर-यादव ओबीसी वोटरों में पार्टी के पक्ष में एक सकारात्मक संदेश जा सकता है, जिससे समाजवादी पार्टी के पारंपरिक आधार में सेंध लगाने में मदद मिल सकती है।

कितना फायदा मिल सकता है बीजेपी को?
राजनीतिक आकलन के अनुसार, सही संगठनात्मक रणनीति और सामाजिक संतुलन के साथ पंकज चौधरी की ताजपोशी 2027 में बीजेपी को 5 से 10 प्रतिशत तक अतिरिक्त ओबीसी समर्थन दिलाने में सहायक हो सकती है। खासकर उन सीटों पर जहां मुकाबला करीबी रहता है, वहां यह बढ़त निर्णायक साबित हो सकती है।

कुल मिलाकर, पंकज चौधरी सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि 2027 के चुनावी गणित में बीजेपी के लिए एक अहम सियासी मोहरा बनकर उभर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि पार्टी नेतृत्व उन्हें किस भूमिका में आगे बढ़ाता है और इसका असर आने वाले विधानसभा चुनावों में कितना दिखता है।

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