उत्तराखंड : UKSSSC पेपर लीक के विरोध में उफान पर छात्र आंदोलन, ‘नकल जिहाद’ पर मुख्यमंत्री का बयान

देहरादून (पंच पथ न्यूज़)। उत्तराखंड में सरकारी भर्तियों में बार-बार हो रही धांधली और हालिया UKSSSC पेपर लीक के विरोध में छात्रों का आंदोलन लगातार तेज होता जा रहा है। राजधानी देहरादून समेत कई जिलों में छात्र सड़कों पर हैं, धरना-प्रदर्शन और नारेबाज़ी कर रहे हैं। इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की परीक्षा प्रणाली और प्रशासनिक पारदर्शिता पर गहरे सवाल खड़े कर दिए हैं।

21 सितंबर 2025 को हुई एक भर्ती परीक्षा के कुछ प्रश्नपत्र परीक्षा केंद्र से बाहर लीक हो गए। सोशल मीडिया पर प्रश्न पत्रों की तस्वीरें वायरल होने लगीं, जिससे हजारों परीक्षार्थियों की मेहनत और भविष्य अधर में लटक गया।

जांच में पता चला है कि एक CPWD में कार्यरत कॉन्ट्रैक्ट इंजीनियर ने कथित रूप से पेपर की तस्वीरें लेकर किसी प्रोफेसर को व्हाट्सएप पर भेजी थीं। पुलिस ने मामले में अब तक कई लोगों से पूछताछ की है और तीन जांच टीमें गठित की गई हैं।

छात्रों में लगातार बढ़ रहा आक्रोश
उत्तराखंड बेरोज़गार संघ के नेतृत्व में छात्र संगठनों ने देहरादून के परेड ग्राउंड में धरना शुरू किया है। उनकी मुख्य माँगें हैं:

● UKSSSC परीक्षा रद्द की जाए
● दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हो
● पूरे मामले की CBI या उच्च स्तरीय न्यायिक जांच करवाई जाए
● सरकारी नौकरियों में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाए


छात्रों का कहना है कि यह कोई पहली घटना नहीं है। पिछले तीन वर्षों में तीन से अधिक बार परीक्षा लीक हो चुकी हैं, जिससे युवाओं का सिस्टम से भरोसा उठता जा रहा है।

मुख्यमंत्री का सख्त बयान: “नकल जिहाद को कुचल देंगे”
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए बयान दिया है कि: “जो लोग उत्तराखंड की परीक्षाओं को बार-बार बदनाम कर रहे हैं, वे ‘नकल जिहाद’ में शामिल हैं। इन्हें ज़मीन में मिला देंगे।”

उन्होंने बताया कि 2022 से अब तक 100 से अधिक लोगों को परीक्षा धोखाधड़ी के मामलों में गिरफ़्तार किया जा चुका है। मुख्यमंत्री ने भरोसा दिलाया कि जांच निष्पक्ष और तेज़ गति से की जा रही है।

SIT जांच और प्रशासन की कार्रवाई
राज्य सरकार ने एक विशेष जांच दल (SIT) गठित किया है जो पूरे पेपर लीक मामले की जांच करेगा। साथ ही, परीक्षा रद्द करने या न करने पर भी प्रशासन विचार कर रहा है, क्योंकि कई छात्रों की मांग है कि जिनका पेपर सही ढंग से हुआ है, उनकी मेहनत व्यर्थ न जाए।

उत्तराखंड का छात्र आंदोलन अब सिर्फ एक पेपर लीक का मामला नहीं रह गया है, बल्कि यह व्यापक प्रशासनिक असंतोष और भर्ती व्यवस्था में भरोसे की कमी को दर्शा रहा है।
सरकार को चाहिए कि वह जल्द और पारदर्शी तरीके से इस मामले को सुलझाए, ताकि राज्य के युवाओं का भविष्य और भरोसा दोनों बचाया जा सके।

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