SITAPUR : सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर बेसिक शिक्षक संघ ने जताई नाराज़गी, अध्यादेश लाने की मांग तेज

(पंच पथ न्यूज़) सीतापुर। माननीय सर्वोच्च न्यायालय द्वारा 01 सितंबर 2025 को दिए गए आदेश के बाद देशभर के बेसिक शिक्षक गहरी चिंता में हैं। कोर्ट ने आदेश दिया है कि 5 वर्ष से अधिक सेवा करने वाले शिक्षकों को भी शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) उत्तीर्ण करनी होगी। हालांकि आदेश में 03 सितंबर 2001 तक नियुक्त शिक्षकों को छूट देने और 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों को भी TET से मुक्त करने की बात कही गई है, लेकिन अन्य धाराओं में सभी को परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य बताया गया है।

ज्ञापन सौंपते संघ के अध्यक्ष मनीष रस्तोगी व मंत्री आराध्य शुक्ला

इसी विरोधाभासी स्थिति को लेकर सीतापुर के शिक्षक नेताओं ने प्रधानमंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री (शिक्षा मंत्री) से अध्यादेश लाकर संशोधन करने की मांग की है। उनका कहना है कि NCTE की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 को आई थी और शिक्षा का अधिकार अधिनियम वर्ष 2011 में लागू हुआ। ऐसे में इससे पहले नियुक्त किए गए वैध शिक्षकों पर TET लागू करना न केवल अनुचित है बल्कि करोड़ों परिवारों के भविष्य को संकट में डालने जैसा है।

शिक्षक नेताओं ने ज्ञापन में कहा है कि –
● 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त अधिकांश शिक्षकों की योग्यता इंटरमीडिएट व बीटीसी प्रशिक्षण थी। ऐसे शिक्षक न तो TET के आवेदन कर पाएंगे और न ही परीक्षा में बैठ सकेंगे।
● TET की पात्रता स्नातक व बी.एड./बीटीसी धारकों के लिए है, लेकिन पुराने शिक्षकों पर यह लागू करना उनके साथ अन्याय होगा।
● परीक्षा में प्रतिभाग करने के लिए 40 वर्ष की अधिकतम आयु सीमा तय है, जबकि अधिकांश पुराने शिक्षक इस सीमा से बाहर हो चुके हैं।
● मुक्त आकृति के रूप में नियुक्त शिक्षक 31 दिसंबर 1999 तक प्रशिक्षण शर्तों से मुक्त रहे हैं, इसलिए वे भी TET का आवेदन नहीं कर पाएंगे।

ज्ञापन के मुताबिक, इस आदेश से देशभर के करीब 40 लाख और उत्तर प्रदेश के लगभग 4 लाख बेसिक शिक्षकों की नौकरी खतरे में पड़ सकती है। नेताओं ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द अध्यादेश लाकर संशोधन नहीं किया गया तो लाखों परिवार बेरोजगारी और आर्थिक संकट में आ जाएंगे।

शिक्षक नेताओं ने जताई चिंता
सीतापुर के जिला अध्यक्ष मनीष कुमार सरस्तोगी, मंडलिक मंत्री पंकज अवस्थी और जिलामंत्री आराध्य शुक्ल ने कहा कि सरकार को तत्काल हस्तक्षेप कर सुप्रीम कोर्ट के आदेश के संदर्भ में स्पष्ट समाधान लाना चाहिए। उन्होंने अपील की कि 2010 से पहले नियुक्त सभी वैध शिक्षकों को शिक्षक पात्रता परीक्षा से मुक्त किया जाए, ताकि उनके परिवारों का भविष्य सुरक्षित रह सके।


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