सोशलिस्ट नेता संतोष मिश्रा ने नहीं ली इमरजेंसी में जेल के बदले पेंशन

इमरजेंसी की यादें- पार्ट 1

  • सुहेल वहीद

पेंशन किसी को खराब नहीं लगती, फौजी हो या वृद्धवस्था या सरकारी कर्मचारी, विधवा आदि इत्यादि। पेंशन स्कीमों से बाजार भर चुका है लेकिन एक आध लोग ऐसे भी हैं जो मिलती हुई पेंशन छोड़ आए। प्रखर खाँटी सोशलिस्ट नेता संतोष मिश्रा ऐसे ही व्यक्तित्व का नाम है जो लोकतंत्र सेनानी की पेंशन के लिए अधिकृत हैं, लेकिन उन्होंने इसे लेने से इनकार कर दिया।

बात तबकी है जब मुलायम सिंह यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे और उन्होंने इमरजेंसी में जेल काटने वाले प्रदेश के लोगों का सम्मान स्वरूप उन्होंने लोकतंत्र की बहाली का सेनानी का नाम दिया और हर माह 20 हजार रुपए पेंशन देने की भी घोषणा की। मुलायम सिंह की इस घोषणा का सर्वत्र स्वागत किया गया लेकिन सीतापुर का एक ऐसा व्यक्तित्व संतोष मिश्रा, जिन्होंने इस पेंशन योजना का न सिर्फ विरोध किया बल्कि सबसे पहले स्वयं लेने से इनकार कर दिया।

सीतापुर से सांसद रहे विख्यात सोशलिस्ट नेता हरगोविंद वर्मा के साथ वर्षों तक साए की तरह कार्य करने और इमरजेंसी में लम्बे समय तक जेल काटने वाले सेनानी संतोष मिश्रा जी ने लोकतंत्र सेनानी पेंशन योजना का उस समय विरोध किया जिस समय लखनऊ के रविंद्रालय में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव की अध्यक्षता में इस पेंशन योजना की घोषणा को लागू करने का कार्यक्रम चल रहा था। संतोष मिश्रा जी बताते हैं कि उन्होंने उस कार्यक्रम में ही कहा कि इस योजना का सबसे अधिक लाभ संघ से जुड़े लोग उठाएंगे, ऐसे लोग जो राष्ट्रीय स्वयं संघ से जुड़े रहे हैं, उनको इमरजेंसी में बंद किया गया, लेकिन उनमें से अधिकांश ने 21 महीने की इमरजेंसी का अधिकांश समय पैरोल पर गुजारा था। उन्होंने कहा कि यह योजना जिस मकसद से लागू की गई, वह उद्देश्य पूरा नहीं हो पा रहा है, जिन कार्यकर्ताओं ने लाठियाँ खाई, जिनके घरों में पुलिस ने घुस कर अत्याचार किया, उनके बजाए जिन्होंने पुलिस की जी हुजूरी की और कागज़ी हेरफेर करके पेंशन लेने लगे। वास्तविक अधिकार जिनका था उन गरीबों को नहीं मिली पेंशन इसलिए सैद्धांतिक रूप से इस योजना से उन्होंने अपने आपको अलग कर लिया।

बुजुर्ग सोशलिस्ट नेता संतोष मिश्रा जी बताते हैं कि वैचारिक स्तर पर उन्होंने इसका विरोध किया क्योंकि लोकतंत्र सेनानी पेंशन योजना से इमजेंसी में वास्तविक रूप से सताए गए कम लोगों को ही लाभ मिलेगा। उनके अनुसार इस योजना का उन्होंने इसीलिए विरोध किया और पेंशन त्याग दी। उन्होंने बताया कि उस कार्यक्रम में इस योजना का विरोध करते हुए वह उस कार्यक्रम स्थल से बाहर निकल गए थे। (जारी)

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